कुछ ऐसा कर दे, मेरे किर्दगार ! आँखों में LYRICS
कुछ ऐसा कर दे, मेरे किर्दगार ! आँखों में
हमेशा नक़्श रहे रू-ए-यार आँखों में
न कैसे ये गुल-ओ-गुंचे हों ख़्वार आँखों में
बसे हुए हैं मदीने के ख़ार आँखों में
बसा हुआ है कोई गुल-‘अज़ार आँखों में
खिला है चार तरफ़ लाला-ज़ार आँखों में
वो नूर दे, मेरे परवरदिगार ! आँखों में
कि जल्वा-गर रहे रुख़ की बहार आँखों में
बसर के साथ बसीरत भी ख़ूब रौशन हो
लगाऊँ ख़ाक-ए-क़दम बार बार आँखों में
उन्हें न देखा तो किस काम की हैं ये आँखें
कि देखने की है सारी बहार आँखों में
नज़र में कैसे समाएँगे फूल जन्नत के
कि बस चुके हैं मदीने के ख़ार आँखों में
अजब नहीं कि लिखा लौह का नज़र आए
जो नक़्श-ए-पा का लगाऊँ ग़ुबार आँखों में
करम ये मुझ पे किया है मेरे तसव्वुर ने
कि आज खींच दी तस्वीर-ए-यार आँखों में
फ़रिश्तो ! पूछते हो मुझ से किस की उम्मत हो
लो देख लो, ये है तस्वीर-ए-यार आँखों में
पिया है जाम-ए-मोहब्बत जो आप ने, नूरी !
हमेशा इस का रहेगा ख़ुमार आँखों में