Nasheed
कोई गुल बाक़ी रहेगा न चमन रह जाएगा LYRICS
कोई गुल बाक़ी रहेगा न चमन रह जाएगा
पर रसूलुल्लाह का दीन-ए-हसन रह जाएगा
कोई गुल बाक़ी रहेगा नय चमन रह जाएगा
पर रसूलुल्लाह का दीन-ए-हसन रह जाएगा
हम-सफ़ीरो बाग़ में है कोई दम का चहचहा
बुलबुलें उड़ जाएँगी, सूना चमन रह जाएगा
अतलस-ओ-कमख़्वाब की पोशाक पर नाज़ाँ न हो
इस तन-ए-बे-जान पर ख़ाकी कफ़न रह जाएगा
नाम-ए-शाहान-ए-जहाँ मिट जाएँगे लेकिन यहाँ
हश्र तक नाम-ओ-निशान-ए-पंजतन रह जाएगा
जो पढ़ेगा साहिब-ए-लौलाक के ऊपर दुरूद
आग से महफ़ूज़ उस का तन-बदन रह जाएगा
सब फ़ना हो जाएँगे, काफ़ी ! व लेकिन हश्र तक
ना’त-ए-हज़रत का ज़ुबानों पर सुख़न रह जाएगा