गैर अपने हो गए जो हमारे बदल गए LYRICS
गैर अपने हो गए जो हमारे बदल गए,
नज़रें बदल गईं तो नज़ारे बदल गए।
जलने लगा है आतिश-ए-किना से आशियाँ,
कुछ इस कदर बढ़ी है ज़माने की शौकियाँ।
कब से क़ज़ा की ज़द्द में है तहसीन-ए-गुलिस्तान,
किसको सुनाएगा यहाँ ग़म की दास्तान,
जो ग़म में साथ देते वो सारे बदल गए।
आहले हुनर का अब ना रहा कोई क़द्रदान,
रंग-ए-वफ़ा न पाएगी यारों के दरमियाँ।
प्यारों में हाय बढ़ गई अब कितनी दूरियाँ,
ढूँढे से पाएगा ना पहली सी मस्तीयाँ,
बदली शराब, कहूँ वो प्याले बदल गए।
दिल में नफ़ाक़ रखता है हर मार-ए-आसितीन,
दुनिया की चाह आ गई गर दिल-ए-आहले-दीं।
आहले दुआल के सामने झुकी है अब जबीन,
इस दौर-ए-मस्लहत में वफ़ा कोई शय नहीं,
गए हुए हमारे तो गाए बदल गए।
दुनिया ने किया सुना है ये बाद-ए-नसीम से,
अय्यूब अर्ज़ करता है अपने हसीम से।
फ़क्र-ए-आलम निकाल के दिल-ए-सलीम से,
अख़्तर लगाए लू नबी-ए-करीम से।
क्या फिक्र आहले-दुनिया जो सारे बदल गए।