Nasheed

चलो दयारे नबी की जानिब LYRICS



चलो दयारे नबी की जानिब
दुरूद लब पर सजा सजा कर,
बहारें लौटेंगी हम करम की
दिलों को दामन बना बना कर।

सल्ला अलैका या रसूलल्लाह
वा सलाम अलैका या रसूलल्लाह

ना उनके जैसा सखी है कोई,
ना उनके जैसा गनी है कोई।
वो बे-नवाओं को हर जगह से
नवाज़ते हैं बुला बुला कर।

चलो दयारे नबी की जानिब
दुरूद लब पर सजा सजा कर।

सल्ला अलैका या रसूलल्लाह
वा सलाम अलैका या हबीबल्लाह।

है उनको उम्मत से प्यारा कितना,
करम है, रहमत शिआर कितना।
हमारे जुर्मों को धो रहे हैं,
हुज़ूर आंसू बहा बहा कर।

चलो दयारे नबी की जानिब
दुरूद लब पर सजा सजा कर।

सल्ला अलैका या रसूलल्लाह
वा सलाम अलैका या हबीबल्लाह।

मैं हूं निकम्मा, हूं जिस की झोली,
मुझे कोई हुस्न-ए-अमल नहीं है।
मगर वो एहसान कर रहे हैं,
ख़ताएं मेरी छुपा छुपा कर।

चलो दयारे नबी की जानिब
दुरूद लब पर सजा सजा कर।

सल्ला अलैका या रसूलल्लाह
वा सलाम अलैका या हबीबल्लाह।

यही एहसास-ए-अमल है मेरी,
इसी से बिगड़ी बनी है मेरी।
समेटता हूं करम खुदा का,
नबी की नातें सुना सुना कर।

चलो दयारे नबी की जानिब
दुरूद लब पर सजा सजा कर।

सल्ला अलैका या रसूलल्लाह
वा सलाम अलैका या हबीबल्लाह।

कभी जो मेरे ग़रीब ख़ाने की
आप आकर जगाएं किस्मत।
मैं ख़ैर-ए-मख़दम के गीत गाऊंगा,
अपनी पलकों बिछा बिछा कर।

चलो दयारे नबी की जानिब
दुरूद लब पर सजा सजा कर।

सल्ला अलैका या रसूलल्लाह
वा सलाम अलैका या हबीबल्लाह।

अगर मुक़द्दर ने आवारगी की,
अगर मदीने गया मैं खालिद।
कदम-कदम ख़ाक उसकी गली की
मैं चूम लूंगा उठा उठा कर।

चलो दयारे नबी की जानिब
दुरूद लब पर सजा सजा कर।

सल्ला अलैका या रसूलल्लाह
वा सलाम अलैका या हबीबल्लाह।

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