Nasheed

चौदहवीं के चाँद सा चेहरा मेरे अख़्तर का है LYRICS

चौदहवीं के चाँद सा चेहरा मेरे अख़्तर का है
जलवा-ए-अहमद रज़ा, जलवा मेरे अख़्तर का है।

ज़ात-ए-अख़्तर की मुखालिफ कैसे देगा तू मिसाल,
एक ही चेहरा दिखा जैसा मेरे अख़्तर का है।

आला हज़रत से मोहब्बत और अख़्तर से जलन,
सुन, रज़ा का वो है जो शैदा मेरे अख़्तर का है।

आला हज़रत से मिला है इल्म, हमीद से जमाल,
और नाना की तरह तक़वा मेरे अख़्तर का है।

जाली पीरो, तुम हसद के शोले में जलते रहो,
एहले सुन्नत में चला सिक्का मेरे अख़्तर का है।

जिस तरह से शेर का बेटा भी होता शेर है,
ऐसे ही असजद रज़ा बेटा मेरे अख़्तर का है।

इतनी रौनक, इतना मजमा, सोच में हूँ मैं नईम,
उर्स है अहमद रज़ा का या मेरे अख़्तर का है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

5 × one =

Back to top button