Nasheed

बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर LYRICS


बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर,
आया है तब तब मेरी ज़बान पर,
नारा ए तक़बीर, अल्लाहो अकबर।

प्यारे नबी ने जीना सिखाया,
बख़ुदा इंसान हम को बनाया,
पहनाया अखलाक ओ इमान का ज़ेवर,
नारा ए तक़बीर, अल्लाहो अकबर।

ख़ुद भी जियो और दो सब को,
इज़ा न पहुँचाओ ख़ुद से किसी को,
इस्लाम का यही दरस ए मुनव्वर,
नारा ए तक़बीर, अल्लाहो अकबर।

सिद्दीक ओ फ़रूक ओ उस्मान ओ हैदर,
अशाबो अज्वाजो शब्बीर ओ शब्बार,
इन सब का एहसान हम सब के ऊपर,
नारा ए तक़बीर, अल्लाहो अकबर।

बग़दादी महख़ाना चलता रहेगा,
अजमेरी प्याला छलकता रहेगा,
नूरी मियाँ देंगे बरकती सागर,
नारा ए तक़बीर, अल्लाहो अकबर।

मिजान पर आका हम को बचाइयो,
दामन में अपने हम को छुपाइयो,
इतना करम या शफ़ा ए मह्शर,
नारा ए तक़बीर, अल्लाहो अकबर।

रहे ख़ुदा में घर को लुटाए,
दीने नबी पे सर को कटाए,
उक़्बा की दौलत लूटे भर भर,
नारा ए तक़बीर, अल्लाहो अकबर।

सच्चे सदा अख़्वाल हमारे,
सईद सदा आमल हमारे,
तब होगा रब मेहरबान हम पर,
नारा ए तक़बीर, अल्लाहो अकबर।

नज़्मी को आका से फ़ैज़ मिला है,
और हसनैन ने जाम उसने पिया है,
नज़्मी गुलामे गुलामे हैदर,
नारा ए तक़बीर, अल्लाहो अकबर।

Related Articles

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

five × 1 =

Back to top button