Nasheed
मुज़्दा-ए-रहमत-ए-हक़ LYRICS
मुज़्दा-ए-रहमत-ए-हक़ हम को सुनाने वाले
मरहबा आतिश-ए-दोज़ख़ से बचाने वाले।
जितने अल्लाह ने भेजे हैं नबी दुनिया में,
तेरी आमद की खबर सब हैं सुनाने वाले।
मुझ से नाशाद को पहुँचा दे दर-ए-अहमद तक,
मेरे ख़ालिक़ मेरे बिछड़ों के मिलाने वाले।
दिल-ए-वीराना-ए-आशिक़ को भी कीजिए आबाद,
मेरे महबूब मदीने के बसाने वाले।
कोई पहुँचा न नबी रुत्बा-ए-आ’ली को तेरे,
मरहबा! ख़ुल्द की ज़ंजीर हिलाने वाले।
बा’द-ए-मुर्दन मुझे दिखलाएंगे जलवा अपना,
क़ब्र-ए-तीरा में मेरे शम’अ दिखाने वाले।
क़ब्र में आप को देखा तो रज़ा ने ये कहा,
देखिए! आए वो मुर्दों को जिलाने वाले।