Nasheed

मौला अली LYRICS


मौला अली

आ मैं पतेह की बात बताऊं बग़ौर सुन
मुश्किल पड़े तो थाम ले दामन-ए-पंजतन

मौला अली

अली के नाम से दिल को सुकून मिलता है
हम उस अली की बात करते हैं लोगों
जिस अली का मेरे आका से खून मिलता है

मौला अली

बगैर हुब्ब-ए-अली मुद’आ नहीं मिलता
इबादतों का भी हरगिज़ सिला नहीं मिला
ख़ुदा के बंदो सुनो ग़ौर से ख़ुदा की कसम
जिसे अली नहीं मिलते उसे ख़ुदा नहीं मिलता

मौला अली

मसलक पता चलेगा ज़रा खुलके बात हो
हम तो रज़ा के साथ हैं तुम किसके, किस साथ हो

मौला अली

बने सूफ़ी जज़्बात में बहने वाले
कलंदर बने इश्क़ में जलने वाले
जन्नती हो गए या नबी कहने वाले
वली बन गए या अली कहने वाले

मौला अली

मन कुंतो मौला
आका ने बोला
मैं जिसका मौला
है उसका मौला
सिद्दीक का प्यारा
फ़ारूक़ का प्यारा
उस्मान का प्यारा
अमीर-ए-माविया का प्यारा
हसनैन के बाबा
ज़हरा के शौहर
मेरे ग़ौस का मौला
ख़्वाजा का मौला
नूरी मियां का मौला
मेरे रज़ा का मौला
मुफ़्ती-ए-आज़म का मौला
अख़्तर का मौला
हम सब का मौला
हक़ अली हक़ अली
नार-ए-हैदरी

मौला अली

जंगल पहाड़ पढ़ते हैं नाद-ए-अली अली
मुश्किल को मेरी हल करो मुश्किल-कुशा अली
मैंने पढ़ा था अपनी हिफ़ाज़त के वास्ते
नाद-ए-अली ने सारा इलाक़ा बचा लिया

अली के दर से जो मांगा तो हर मुराद मिली
पुकारा उनको जो मुश्किल में इमदाद मिली
लिया जो नाम-ए-अली इश्क़-ए-सहाबा रख कर
तो मुझे सिद्दीक, उमर, उस्मान से भी दाग़ मिली

मौला अली

नूर ओ बिंते नूर ओ जौज़े नूर ओ उम्मे नूर ओ नूर
नूर-ए-मुतलक़ की कनीज़ अल्लाह रे लहना नूर का
एक सीने तक मुशाबेह, एक वहां से पांव तक
हुस्न-ए-सिब्तैन उनके जमां में है नीमा नूर का

तेरी नस्ल-ए-पाक में है बच्चा-बच्चा नूर का
तू है ऐन-ए-नूर, तेरा सब घराना नूर का

मौला अली

कब किसी बेनवा से कहता बात शेर-ए-ख़ुदा से कहता हूं
सब के हाजत रवां से कहता हूं
दूर हो जा नज़र से ऐ मुश्किल, वरना
मुश्किल-कुशा से कहता हूं

मौला अली

इश्क़-ए-रसूल-ए-पाक का एक मौजिज़ा है
अहमद रज़ा इल्म में जलवा अली का है

मौला अली

दोनों इमाम ख़ल्क़ के हाजत रवां हुए
मुश्किल-कुशा के बेटे भी मुश्किल-कुशा हुए

मौला अली

मन कुंतो मौला
आका ने बोला
मैं जिसका मौला
है उसका मौला
सिद्दीक का प्यारा
फ़ारूक़ का प्यारा
उस्मान का प्यारा
अमीर-ए-माविया का प्यारा
हसनैन के बाबा
ज़हरा के शौहर
मेरे ग़ौस पूछा तो क़ादरी बोले
ख़्वाजा से पूछा तो चिश्ती बोले
मेरे रज़ा से पूछा तो रज़वी बोले
हम सब का मौला
अख़्तर का मौला
हक़ अली हक़ अली
**नार-

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