यह है ख़्वाजा का हिन्दुस्तान
यह है ख़्वाजा का हिन्दुस्तान
यह है ख़्वाजा का हिन्दुस्तान, मेरे ख़्वाजा का हिन्दुस्तान
इसके लिए अगर वक़्त पड़ा तो दे देंगे हम जान
यह है ख़्वाजा का हिन्दुस्तान, मेरे ख़्वाजा का हिन्दुस्तान
ख़्वाजा के दीवाने देंगे अपने वतन जान
फ़ज़ल-ए-ख़ुदा और फ़ैज़-ए-नबी से क़िल-ए-शिर्क उखाड़ा था
आकर ख़्वाजा ने अजमेर में दीन का झंडा गाड़ा था
हिंद की धरती पर जितने भी दीन के दुश्मन रहते थे
अल्लाहु की ज़र्ब लगा कर हर ज़ालिम को पछाड़ा था
जिस ने भी देखा आप को ख़्वाजा ले आया ईमान
यह है ख़्वाजा का हिन्दुस्तान
यहीं पे ख़्वाजा सईद फ़ख़्रुद्दीन हिशामुद्दीन भी हैं
यहीं पे कुतुबुद्दीन निज़ामुद्दीन आला़ुद्दीन भी हैं
यहीं पे शरफ़ुद्दीन मानेरी सूफ़ी हामीदुद्दीन भी हैं
यहीं पे शम्सुद्दीन अल्तमश, यहीं नसीरुद्दीन भी हैं
मुंबरा में है जलवा फरमा शाह फ़ख़्रुद्दीन बाबा
यह है ख़्वाजा का हिन्दुस्तान
यहीं पे मसीद-ए-ग़ाज़ी ने अपने सर को कटाया है
यहीं पे मख़दूम-ए-अशरफ़ ने परचम-ए-हक़ लहराया है
यहीं पे हाजी अली और हाजी मलंग और मख़दूम-ए-माहिम
वारिस मीना बाबा ताजुद्दीन का हम पर साया है
डोंगरी पर है जलवा फरमा शाह अब्दुर्रहमा
यह है ख़्वाजा का हिन्दुस्तान
यहीं पे आला हज़रत भी हैं और यहीं मरेहरा है
अब्दे वाहिद का अहले-सुन्नत पर आज भी पहरा है
हामिद और इब्राहीम रज़ा और रेहान-ए-मिल्लत भी यहीं
नूरी मियाँ की नूरी किरन से रौशन सब का चेहरा है
मुफ़्ती-ए-आज़म का हर एक सुन्नी पर है एहसान
यह है ख़्वाजा का हिन्दुस्तान