ये किस शाहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है LYRICS
नसीम-ए-फैज़ से ग़ुंचे खिलाने आए हैं
करम की अपनी बहारें दिखाने आए हैं
ये किस शाहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है
बोलो मरहबा बोलो मरहबा, बोलो मरहबा बोलो मरहबा
यही तो सोते हुओं को जगाने आए हैं
यही तो रोते हुओं को हँसाने आए हैं
ये किस शाहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है
बोलो मरहबा बोलो मरहबा, बोलो मरहबा बोलो मरहबा
हज़ार साल की रौशन-शुदा बुझी आतिश
ये कुफ़्र-ओ-शिर्क की आतिश बुझाने आए हैं
ये किस शाहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है
बोलो मरहबा बोलो मरहबा, बोलो मरहबा बोलो मरहबा
इन्हें खुदा ने किया अपने मुल्क का मालिक
इन्हीं के क़ब्ज़े में रब के ख़ज़ाने आए हैं
जो चाहेंगे जिसे चाहेंगे ये उसे देंगे
करीम हैं ये ख़ज़ाने लुटाने आए हैं
ये किस शाहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है
बोलो मरहबा बोलो मरहबा, बोलो मरहबा बोलो मरहबा
जो गिर रहे थे उन्हें नायबों ने थाम लिया
जो गिर चुके हैं ये उनको उठाने आए हैं
रऊफ ऐसे हैं और ये रहीम हैं इतने
कि गिरते-पड़ते को सीने लगाने आए हैं
ये किस शाहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है
बोलो मरहबा बोलो मरहबा, बोलो मरहबा बोलो मरहबा
सब रसूल ने कहा “इज़्हबू इला ग़ैरी”
“अना लहा” का ये मोज़दा सुनाने आए हैं
अजब करम कि खुद मुजरिमों के हामि हैं
गुनाहगारों की ये बख्शिश कराने आए हैं
ये किस शाहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है
बोलो मरहबा बोलो मरहबा, बोलो मरहबा बोलो मरहबा
सुनोगे “ला” ना ज़बान-ए-करीम से नूरी
ये फैज़-ओ-जूद के दरिया बहाने आए हैं
नसीब तेरा चमक उठा देख तो नूरी
अरब के चाँद लहद के सिरहाने आए हैं
ये किस शाहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है
बोलो मरहबा बोलो मरहबा, बोलो मरहबा बोलो मरहबा