लम-यति नज़ीर-ओ-काफी नज़रीन LYRICS
लम-यति नज़ीर-ओ-काफी नज़रीन, मिस्ल-ए-तो न-शुद पैदा जाना,
जग-राज को ताज तोरे सरसो, है तुझको शाह-ए-दो सरा जाना।
अल-बहरु-अला वल मव्जु तगा, मन बे-कस-ओ-तूफां होश रबा,
मंझधार में हूं, बिगड़ी है हवा, मोरी नैया पार लगा जाना।
या शम्सु नज़रती इला लैली, चु बा तैबा रसी अर्ज़-ए-वा कुनी,
तोरे ज्योत की झल-झल जग में रची, मोरी शब ने न दिन होना जाना।
लका बद्रुन फिल वज्हिल अजमल, ख़त हाल-ए-मह, ज़ुल्फ़ अब्र-ए-अजल,
तोरे चंदन, चंद्र परो कुंडल, रहमत की भरन बरसा जाना।
अना फी अतशन-वा सक्हा का अतम, ऐ गेसू-ए-पाक, ऐ अब्र-ए-करम,
बरसन हारे रिम-झिम, रिम-झिम, दो बूंद इधर भी गिरा जाना।
या काफिलती ज़ीदी अजलाक, रहम-ए-बर हसरत तिश्ना लबक,
मोरा जियारा लरजे दरक-दरक, तैबा से अभी न सुना जाना।
वहां लिसुविय’आतिन ज़हबत आं, ‘अहद-ए-हुज़ूर, बार-ए-गहत,
जब याद आवत मोहे कर न परत, दर्दा वो मदीना का जाना।
अल-कल्बु शजूव वल हम्मु शजूं, दिल ज़ार चुनां जां ज़ेर-ए-चुनूं,
पत अपनी बिपत में का से कहूं, मेरा कौन है तेरे सिवा जाना।
अर-रूहु फिदाक, फ़ज़िद हरका, यक शो’ला दिगर बर्ज़न ‘इश्का,
मोरा तन, मन, धन सब फूंक दिया, ये जान भी प्यारे जला जाना।
बस खामा-ए-ख़ाम-ए-नवा-ए-रज़ा, न ये तर्ज़ मेरी, न ये रंग मेरा,
इरशाद-ए-अहिब्बा नातिक था, न-चार इस राह पर’रा जाना